लेखनी कहानी -24-Nov-2022 (यादों के झरोखे से :-भाग 17)
अब मैं अपने घर आ चुकी थी। सभी मेरी सहेलियां भी अपने -अपने घर जा चुकीं थीं। जब मैं कोचिंग करने गई हुई थी, रोज़ घर पर एस.टी.डी. से बात करती थी। तब मेरे अभिभावकों ने मुझे ज़बरदस्ती एक मोबाइल लाकर दिया। उस समय मैं मोबाइल नहीं रखना चाह रही थी, क्योंकि मुझे यही लगता था कि मेरे माता पिता ने मेरी पढ़ाई के लिए इतना पैसा लगाया है, तो मैं अब और उनसे ज़्यादा कुछ ना लूं। परंतु, वे नहीं माने तो मुझे रखना ही पढ़ा।
जब मैं घर वापस आ गई तो प्रश्न उठा कि अब आगे क्या किया जाए। कुछ दिनों बाद मेरा परीक्षा परिणाम भी आ गया और मेरा। सिलेक्शन नहीं हुआ था। पापा चाहते थे कि मैं एक बार और कोचिंग करूं। परंतु, मेरा मन अब एम.बी.बी.एस. करने को बिल्कुल नहीं हो रहा था। क्योंकि पता नहीं मेरे मन में यह बात आ गई कि यदि मैं एलोपैथिक दवाइयां लेना पसंद नहीं करती तो फिर इस डॉक्टर बनने का क्या फायदा? मैं दूसरों को कैसे वो लेने हेतु राय दे सकती हूं।
मैंने पापा से प्राकृतिक चिकित्सा में प्रवेश हेतु बात की। परंतु, उन्होंने साफ मना कर दिया और कहा कि करना है तो यही करो नहीं तो प्राकृतिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सा में दाखिला दिलाने हेतु वे तैयार नहीं हुए। अंततः मैंने एक वर्ष और बिगाड़ा और अपने लिए एक दूसरा विषय का कॉलेज ढूंढा और बायोटेक्नोलॉजी के एक कॉलेज में चयन परीक्षा देकर मेरा चयन हुआ। पापा चाहते थे कि मैं अपने शहर से ही बी.एस.सी. करूं। परंतु, मुझे यह पता था कि मैं घर से बाहर निकल कर ही कुछ सीख पाऊंगी। घर मैं माता पिता के संरक्षण में कुछ नहीं सीख सकती।
अतः मैंने पापा से जिद करके उनको इस कॉलेज में दाखिला हेतु मना लिया। मैं किसी ए अच्छे कॉलेज से पढ़ना चाहती थी। जहां मुझे ज्यादा सीखने को मिले। पापा मान गए और मेरा दाखिला हो गया। वहां सभी शिक्षक बहुत ही सहयोगी थे और सभी मेरे प्रिय भी थे। खासतौर पर हमारे एच.ओ.डी. सर बहुत ही अच्छे थे। उस कॉलेज में मेरी पसंदीदा जगह थी:- लाइब्रेरी, कंप्यूटर लैब और हमारे कॉलेज की छत, जहां बाद में हमारी छोटी सी रिसर्च लैब हिमने साफ करके तैयार की थी। मुझे प्रैक्टिकल्स करने में ज्यादा रुचि थी। पहल साल मैंने इंटर कॉलेज कंपटीशन में एक पोस्टर कंपटीशन में दूसरा स्थान प्राप्त किया। उस कॉलेज में जाने के पश्चात् मैंने रंगोली बनाना सीखा।
जब तीन वर्ष पूरे हुए तो मैंने दूसरे शहर सेम.एस.सी. करने का फैसला लिया। चूंकि ग्रेजुएशन में मुझे 74.40% अंक प्राप्त हुए थे। इसीलिए दूसरे शहर के कॉलेज में मेरा चुनाव सरलता से हो गया।
Gunjan Kamal
06-Dec-2022 02:05 PM
👏👌
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Swati Sharma
06-Dec-2022 03:58 PM
🙏🏻😇
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Pratikhya Priyadarshini
05-Dec-2022 11:39 PM
Behtareen 👌🌸
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Swati Sharma
06-Dec-2022 03:57 PM
Thank you ma'am 🙏🏻😇
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Rajeev kumar jha
04-Dec-2022 11:40 PM
👏👌
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Swati Sharma
04-Dec-2022 11:55 PM
🙏🏻😇
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